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दर्द बेइंतिहा है,तन्हाई की गलियों में। उम्मीद की च

दर्द बेइंतिहा है,तन्हाई की गलियों में।
उम्मीद की चाहत में,बस बढ़ते चले जाते हैं।।

©Shubham Bhardwaj
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