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हांडियों में ही पकता है जीवन हांडियों के टूटने से

हांडियों में ही पकता है जीवन
हांडियों के टूटने से ही
टूट जाती है माला सांसों की
खाका खींचा है दीवार पर
चित्रकार उसमें अपने कौशल से
हांडी तो रच सकता है
पर उसमें नही भर सकता 
सांसों के स्पंदित रंग

हांडियों में ही पकता है जीवन हांडियों के टूटने से ही टूट जाती है माला सांसों की खाका खींचा है दीवार पर चित्रकार उसमें अपने कौशल से हांडी तो रच सकता है पर उसमें नही भर सकता सांसों के स्पंदित रंग #Artist #Hindi #poem #nojotoenglish #विचार

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