मैंने उससे पूछा, कि...... मैं कौन था, उस हिस्से के आखरी अक्स में... खबसूरती इतना सी बढ़ी इसी प्रश्न में, कि.... ग़ैर ए हाथ खुद के नज़्म खो दिये... उसे भी कोई हक़ न था.., ख़ाक.. किसी के लिए.. कुछ नहीं था..!! ©Dev Rishi , प्रेम, त्याग, वियोग..!!