वो बचपन की गुड़िया , वो ख़्वाबों का मेला , वो सुकून की चीज़ों का ठेला , ना किसी उम्मीदों का भोज , संसार की सभी होती है मौज , वो खेलों के मैदान , या खेतों के खलियान ।। सुप्रभात। किताबों की दुनिया ये नए नए ख़्वाबों की दुनिया। #किताबोंकीदुनिया #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi