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नारी गर्जना गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय त

नारी गर्जना 

गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय तू अब ।

लौह की बेड़ियों को तोड़, बना ले उसको शस्त्र अब ।।

अंगार पर चली है तू आग में तपी है तू ।

पापियों के घात से ।।

जला इन्हें अब भस्म कर, विजय तिलक लगा तू अब ।

पापियों के राख से ।।

गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय तू अब ।

प्रश्न उठे थे तब भी जब, तू सोयी कोख में थी तब ।।

क्या नारी का चरित्र है ? क्यूँ नारी दंश झेलती है अब ।

तू किसलिए डरी है अब, चरित्र जब पवित्र है ।।

पापियों के सिर को तू, त्रिशूल से उखाड़ फेंक।

गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय तू अब ।।

आग है धधक उठी, तू लौ की अब मशाल ले ।

चुनर तेरा इक शस्त्र सा, मन से तू ये मान ले ।।

चुनर से अपनी ध्वज बना, भर दे एक हूंकार तू ।

पापियों को इस चुनर से, झूला इन्हें अब फाँस तू ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-1 ) नारी गर्जना
नारी गर्जना 

गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय तू अब ।

लौह की बेड़ियों को तोड़, बना ले उसको शस्त्र अब ।।

अंगार पर चली है तू आग में तपी है तू ।

पापियों के घात से ।।

जला इन्हें अब भस्म कर, विजय तिलक लगा तू अब ।

पापियों के राख से ।।

गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय तू अब ।

प्रश्न उठे थे तब भी जब, तू सोयी कोख में थी तब ।।

क्या नारी का चरित्र है ? क्यूँ नारी दंश झेलती है अब ।

तू किसलिए डरी है अब, चरित्र जब पवित्र है ।।

पापियों के सिर को तू, त्रिशूल से उखाड़ फेंक।

गरज चुकी तू अब बरस, ला दे जल प्रलय तू अब ।।

आग है धधक उठी, तू लौ की अब मशाल ले ।

चुनर तेरा इक शस्त्र सा, मन से तू ये मान ले ।।

चुनर से अपनी ध्वज बना, भर दे एक हूंकार तू ।

पापियों को इस चुनर से, झूला इन्हें अब फाँस तू ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-1 ) नारी गर्जना
nojotouser6137488637

Raone

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नारी गर्जना #कविता