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दिन की उज्वल धूप और. रात्रि की निखरी हुई चांदनी

दिन की उज्वल धूप  और. रात्रि की  निखरी हुई
चांदनी  आज तक कभी गले मिल नहीं पाए
चांदनी का देवतुल्य पिता चाँद  उसका
धूप से  गठबंदन  करके  बेफिक्र  हो जाना. चाहता है
और  उस दिन के लिए चाँद  युगो से प्रतीक्षारत है

©Parasram Arora
  प्रतीक्षारत

प्रतीक्षारत #कविता

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