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कहां गए कन्हैया जब द्रोपती को घुमाया नंगा। कहां गय

कहां गए कन्हैया जब द्रोपती को घुमाया नंगा। कहां गया तेरा चीर
लुट गई द्रोपती की असमत वीर।
समाज के साथ-साथ तेरा भी दोहरा चरित्र सामने आया। जब उसे भीड़ में तू मुझे कहीं नजर ना आया। अब तो जीने की आरजू भी मेरी खत्म हुई। है मेरे जिस्म पर कौरवों की नियत शधी हुई।
 आज ना कोई कन्हैया है ना कोई पार्थ है। सबके अपने-अपने स्वार्थ हैं। पुकार रही अबला नारी,
कहां गए कन्हैया,,,,

©Suneel Nohara
  कहां गए कन्हैया,,, Ritu Tyagi Anshu writer चाँदनी Rakesh Srivastava Anupriya