Nojoto: Largest Storytelling Platform

हम निकेतन, हम अनिकेतन हम तो रमते राम हमारा क्या घर

हम निकेतन, हम अनिकेतन
हम तो रमते राम हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन?

अब तक इतनी योंही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी
कौन बनाए आज घरौंदा हाथों चुन-चुन कंकड़ माटी
ठाट फकीराना है अपना वाघांबर सोहे अपने तन?

देखे महल, झोंपड़े देखे, देखे हास-विलास मज़े के
संग्रह के सब विग्रह देखे, जँचे नहीं कुछ अपने लेखे
लालच लगा कभी पर हिय में मच न सका शोणित-उद्वेलन!

हम जो भटके अब तक दर-दर, अब क्या खाक बनाएँगे घर
हमने देखा सदन बने हैं लोगों का अपनापन लेकर
हम क्यों सने ईंट-गारे में हम क्यों बने व्यर्थ में बेमन?

ठहरे अगर किसीके दर पर कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर
तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे जो देखा कोई घर
हम रमता बनकर बिचरे पर हमें भिक्षु समझे जग के जन!
हम अनिकेतन! #बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मजयंती
हम निकेतन, हम अनिकेतन
हम तो रमते राम हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन?

अब तक इतनी योंही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी
कौन बनाए आज घरौंदा हाथों चुन-चुन कंकड़ माटी
ठाट फकीराना है अपना वाघांबर सोहे अपने तन?

देखे महल, झोंपड़े देखे, देखे हास-विलास मज़े के
संग्रह के सब विग्रह देखे, जँचे नहीं कुछ अपने लेखे
लालच लगा कभी पर हिय में मच न सका शोणित-उद्वेलन!

हम जो भटके अब तक दर-दर, अब क्या खाक बनाएँगे घर
हमने देखा सदन बने हैं लोगों का अपनापन लेकर
हम क्यों सने ईंट-गारे में हम क्यों बने व्यर्थ में बेमन?

ठहरे अगर किसीके दर पर कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर
तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे जो देखा कोई घर
हम रमता बनकर बिचरे पर हमें भिक्षु समझे जग के जन!
हम अनिकेतन! #बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मजयंती