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वो अक्षर थे बड़े अनोखे ,में उनको न समझा था .. तिरछ

वो अक्षर थे बड़े अनोखे ,में उनको न समझा था ..
तिरछे सीधे आड़े , लिख मैंने सबको डाला था ..
घिस गई थी कलम मेरी , उन बीते लम्हों में ..
जब लिखने को आतुर खड़ा मैं ,वो बचपन के दिनों में...

©sanju पहाड़ी
  #अक्षर #बचपन