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सुबह सूरज की पहली किरण के साथ तुम्हारा चहकना शुरू

सुबह सूरज की पहली किरण के साथ तुम्हारा चहकना शुरू हो जाता है, तुम्हारी चूं-चूं की आवाज़ से हर रोज़ मेरी नींद खुलती है,कभी-कभी तुम्हारे अंदर मैं माँ का अक्स देखता हूँ कभी पत्नी का तो कभी बहन का ,जैसे तुम आकर कहती हो कब तक सोए रहोगे उठ जाओ सुबह हो गयी है । बस एक कमी थी कि तुम उनकी तरह ये नही पूछती हो - चाय लाऊँ तुम्हारे लिए ?
शायद पूछ भी लेती अग़र मैं तुम्हारी भाषा समझ लेता । इतने बड़े घर में सिर्फ मैं और तुम ही तो थे ,दोनों बिल्कुल अकेले , शायद ये अकेलापन ही था जिस ने हमारे बीच एक मूक संवाद को स्थापित कर दिया ।
आँगन की दीवार के उस छोटे से छेद में तुम्हारा वो घोंसला मुझे बहुत लुभाता है  , मेरा मन करता है कि मैं भी उसी में जाकर तुम्हारे साथ रहने लगूँ , कि तुम्हारी नज़रों से मैं भी दुनिया देखूँ और देखूँ कि तुम्हारी नज़रों से दुनिया कैसी दिखती है वैसी जैसी मुझे नज़र आती है या उस से बिल्कुल अलग ।
तुम उस छोटी सी दुनिया में कैसे खुश रह लेती हो मेरी चिड़िया !! मेरा तो इतनी बड़ी दुनिया में भी दम घुटता है ऐसा लगता है कि घर की चहारदीवारी दिन-ब-दिन छोटी होती जा रही है और मैं उसमें दबता हुआ चला जा रहा हूँ । 
मेरी चिड़िया !! तुम मुझसे पूछती हो कि मैं कैसे तुम्हारी हर बात जान लेता हूँ कैसे तुम्हारे बिना कुछ कहे तुम्हारी हर परेशानी को समझ जाता हूँ ; तो वो सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने ज़िन्दगी के हर पहलू को बड़े करीब से छुआ है महसूस किया उसमें छिपी हताशा निराशा दुःख तकलीफ संघर्ष हार जीत पाना खोना सब कुछ ।
मुझे पता होता है कि तुम क्या कहना चाहती हो कि तुम कब किस तकलीफ़ से गुज़र रही हो ,मैं बस तुम्हें हर उस तकलीफ़ से बचाना चाहता हूँ जिसे मैंने देखा है । आज मैं बहुत खुश हूँ कि अब तुम्हारा अपना परिवार हो गया है औऱ उदास भी हूँ कि तुम मेरे आँगन को छोड़कर चली गई । मेरा अकेलापन और घर का सन्नाटा तुम्हारे ना होने का अहसास बार-बार दिलाता है । मैं अब भी तुम्हारे लिए चावल के कुछ दाने रख देता हूँ और बर्तन में पानी भी कि शायद किसी रोज़ हमारा एक दूसरे के प्रति ये अनकहा लगाव तुम्हें यहाँ फिर से खींच लाए ।
 मैं बस ये चाहता हूं कि तुम जहाँ भी रहो खुश रहो अपनों में अपनों के साथ ।
हाँ...अब मुझे नींद से जगाने कोई नही आता है ,आँगन का वो हिस्सा अब उजाड़ पड़ा है जहाँ तुम कभी चहकती रहती थी ,अब इस घर मे हर तरफ एक ख़ामोशी है ,जानेवाले तो चले जाते है अपनी राह पे अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहते है ,पर जो लोग पीछे रह जाते है उनके लिए ज़िन्दगी रुक सी जाती है, कभी-कभी बरबस मेरी निगाहें तुम्हारे घोंसले की तरफ चली जाती है ,इस उम्मीद में की किसी सुबह जब मैं सोकर उठूं तो सामने घोंसले से मुझे तुम झाँकती हुई दिख जाओ ।

©my sky is falling #story #Life 

#Trees
सुबह सूरज की पहली किरण के साथ तुम्हारा चहकना शुरू हो जाता है, तुम्हारी चूं-चूं की आवाज़ से हर रोज़ मेरी नींद खुलती है,कभी-कभी तुम्हारे अंदर मैं माँ का अक्स देखता हूँ कभी पत्नी का तो कभी बहन का ,जैसे तुम आकर कहती हो कब तक सोए रहोगे उठ जाओ सुबह हो गयी है । बस एक कमी थी कि तुम उनकी तरह ये नही पूछती हो - चाय लाऊँ तुम्हारे लिए ?
शायद पूछ भी लेती अग़र मैं तुम्हारी भाषा समझ लेता । इतने बड़े घर में सिर्फ मैं और तुम ही तो थे ,दोनों बिल्कुल अकेले , शायद ये अकेलापन ही था जिस ने हमारे बीच एक मूक संवाद को स्थापित कर दिया ।
आँगन की दीवार के उस छोटे से छेद में तुम्हारा वो घोंसला मुझे बहुत लुभाता है  , मेरा मन करता है कि मैं भी उसी में जाकर तुम्हारे साथ रहने लगूँ , कि तुम्हारी नज़रों से मैं भी दुनिया देखूँ और देखूँ कि तुम्हारी नज़रों से दुनिया कैसी दिखती है वैसी जैसी मुझे नज़र आती है या उस से बिल्कुल अलग ।
तुम उस छोटी सी दुनिया में कैसे खुश रह लेती हो मेरी चिड़िया !! मेरा तो इतनी बड़ी दुनिया में भी दम घुटता है ऐसा लगता है कि घर की चहारदीवारी दिन-ब-दिन छोटी होती जा रही है और मैं उसमें दबता हुआ चला जा रहा हूँ । 
मेरी चिड़िया !! तुम मुझसे पूछती हो कि मैं कैसे तुम्हारी हर बात जान लेता हूँ कैसे तुम्हारे बिना कुछ कहे तुम्हारी हर परेशानी को समझ जाता हूँ ; तो वो सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने ज़िन्दगी के हर पहलू को बड़े करीब से छुआ है महसूस किया उसमें छिपी हताशा निराशा दुःख तकलीफ संघर्ष हार जीत पाना खोना सब कुछ ।
मुझे पता होता है कि तुम क्या कहना चाहती हो कि तुम कब किस तकलीफ़ से गुज़र रही हो ,मैं बस तुम्हें हर उस तकलीफ़ से बचाना चाहता हूँ जिसे मैंने देखा है । आज मैं बहुत खुश हूँ कि अब तुम्हारा अपना परिवार हो गया है औऱ उदास भी हूँ कि तुम मेरे आँगन को छोड़कर चली गई । मेरा अकेलापन और घर का सन्नाटा तुम्हारे ना होने का अहसास बार-बार दिलाता है । मैं अब भी तुम्हारे लिए चावल के कुछ दाने रख देता हूँ और बर्तन में पानी भी कि शायद किसी रोज़ हमारा एक दूसरे के प्रति ये अनकहा लगाव तुम्हें यहाँ फिर से खींच लाए ।
 मैं बस ये चाहता हूं कि तुम जहाँ भी रहो खुश रहो अपनों में अपनों के साथ ।
हाँ...अब मुझे नींद से जगाने कोई नही आता है ,आँगन का वो हिस्सा अब उजाड़ पड़ा है जहाँ तुम कभी चहकती रहती थी ,अब इस घर मे हर तरफ एक ख़ामोशी है ,जानेवाले तो चले जाते है अपनी राह पे अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहते है ,पर जो लोग पीछे रह जाते है उनके लिए ज़िन्दगी रुक सी जाती है, कभी-कभी बरबस मेरी निगाहें तुम्हारे घोंसले की तरफ चली जाती है ,इस उम्मीद में की किसी सुबह जब मैं सोकर उठूं तो सामने घोंसले से मुझे तुम झाँकती हुई दिख जाओ ।

©my sky is falling #story #Life 

#Trees