**ज़िन्दगी एक सुलगती सी चिता है साहिर शोला बनती है ना ये बुझ के धुआँ होती है ** -------------------------------------------------------- तुमसे सदियों की वफाओं का कोई नाता था तुमसे मिलने की लकीरें थी मेरे हाँथों में तेरे वादों ने हमें घर से निकलने ना दिया लोग मौसम का मज़ा ले गए बरसातों में ----------------------------------------------- रातभर जागती आंखों को बधाई देगा चाँद निकला तो खिड़की से दिखाई देगा ये मोहब्बत है सोच समझ कर रोना एक आँसू भी टूटा तो सुनाई देगा 💔💔🌷🌷