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अभिमान में चूर रावण यह कर रहा विचार है कि कुम्भकर्

अभिमान में चूर रावण यह कर रहा विचार है कि कुम्भकर्ण के‌ बल पर वह युद्ध जीत जाएगा ,
नर नहीं नारायण हैं स्वयं प्रभु‌ श्री‌ राम बात रावण को अब कौन‌ ये बताएगा ,

जगाया कुम्भकर्णको वो छः माह से सोया था जो ,

ज्यों हि कुम्भकर्ण‌ जग जायेगा विचारता है रावण की अब शत्रु पीछे भग जायेगा ,

परन्तु कुम्भकर्ण विद्वान था अपार उसको ज्ञान था ,
सत्य को वह जान गया , हरी को वह पहचान गया ,
कही  कुम्भकर्ण नें रावण से बात स्पष्ट हो गयी बुद्धि तुम्हारी भ्रष्ट ,
अरे जिस सीता को तुमंने छल से उठाया है, 
तुमने अपने काल को खुद से ही बुलाया है ,
जाकर श्री राम को सीता सौंप  दो  महा विध्वंश को रोक दो ,
लेकिन रावण एक ना सुना , अपने विनाश का जाल वो स्व यं बुना ,
कुम्भकर्ण भाई  के स्नेह में फँस गया, रिश्तों के दल-दल  में‌ धंस गया ,
ज्ञात है अब यह‌  कुम्भकर्ण को‌ की‌ कोई‌ ना‌ उसे बचा पाएगा ,
ना‌ मान‌ कर कुम्भकर्ण की बात को रावण बरा पछताएगा ,  रावण बरा पछताएगा ।

©Rajputana Ayush Singh Chauhan Writer Abhishek Anand 96

Writer Abhishek Anand 96

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