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मैं आम आदमी हूँ, गुनाहगार सरकार को मानता हूँ, अपना

मैं आम आदमी हूँ, गुनाहगार सरकार को मानता हूँ,
अपना स्वार्थ कैंसे पूरा हो, यही तो हमेशा जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, मुझे किसी की परेशानी से क्या,
एक दिन याद कर हमेशा के लिए भूलना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, क्यों किसी के लिए समय गँवाऊँ,
किसी की जलती लाश का तमाशा देखना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, देखूँ भी क्यों न, मेरा तो कोई नहीं,
हाँ, बस अपना समय आयेगा, शायद नहीं जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, तमाशा देखना ही मेरी आदत है,
बिन पैसों के देख बस कैंडल मार्च करना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ,किसी की बहन को बहन नहीं मानता, 
मेरी बहन को कोई अपनी नहीं मानेगा, नहीं जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, मरता भी तो आम आदमी ही है,
आम आदमी कुछ नहीं कर सकता, यही तो जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, खास कुछ गिने चुने समझता तो हूँ,
मगर किसी के लिए खुद कुर्बान हो जाना नहीं जानता हूँ।

तुम आम आदमी हो, मगर इतना क्यों नहीं समझते हो,
मैं आम आदमी भी खास को कुचलना अच्छे से जानता हूँ। मैं आम आदमी हूँ, गुनाहगार सरकार को मानता हूँ,
अपना स्वार्थ कैंसे पूरा हो, यही तो हमेशा जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, मुझे किसी की परेशानी से क्या,
एक दिन याद कर हमेशा के लिए भूलना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, क्यों किसी के लिए समय गँवाऊँ,
किसी की जलती लाश का तमाशा देखना जानता हूँ।
मैं आम आदमी हूँ, गुनाहगार सरकार को मानता हूँ,
अपना स्वार्थ कैंसे पूरा हो, यही तो हमेशा जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, मुझे किसी की परेशानी से क्या,
एक दिन याद कर हमेशा के लिए भूलना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, क्यों किसी के लिए समय गँवाऊँ,
किसी की जलती लाश का तमाशा देखना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, देखूँ भी क्यों न, मेरा तो कोई नहीं,
हाँ, बस अपना समय आयेगा, शायद नहीं जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, तमाशा देखना ही मेरी आदत है,
बिन पैसों के देख बस कैंडल मार्च करना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ,किसी की बहन को बहन नहीं मानता, 
मेरी बहन को कोई अपनी नहीं मानेगा, नहीं जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, मरता भी तो आम आदमी ही है,
आम आदमी कुछ नहीं कर सकता, यही तो जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, खास कुछ गिने चुने समझता तो हूँ,
मगर किसी के लिए खुद कुर्बान हो जाना नहीं जानता हूँ।

तुम आम आदमी हो, मगर इतना क्यों नहीं समझते हो,
मैं आम आदमी भी खास को कुचलना अच्छे से जानता हूँ। मैं आम आदमी हूँ, गुनाहगार सरकार को मानता हूँ,
अपना स्वार्थ कैंसे पूरा हो, यही तो हमेशा जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, मुझे किसी की परेशानी से क्या,
एक दिन याद कर हमेशा के लिए भूलना जानता हूँ।

मैं आम आदमी हूँ, क्यों किसी के लिए समय गँवाऊँ,
किसी की जलती लाश का तमाशा देखना जानता हूँ।
juhigrover8717

Juhi Grover

New Creator

मैं आम आदमी हूँ, गुनाहगार सरकार को मानता हूँ, अपना स्वार्थ कैंसे पूरा हो, यही तो हमेशा जानता हूँ। मैं आम आदमी हूँ, मुझे किसी की परेशानी से क्या, एक दिन याद कर हमेशा के लिए भूलना जानता हूँ। मैं आम आदमी हूँ, क्यों किसी के लिए समय गँवाऊँ, किसी की जलती लाश का तमाशा देखना जानता हूँ। #yqdidi #yqhindi #कुचलना #bestyqhindiquotes #कैंडल_मार्च