कोल्हू मे बैल जिस तरह घूमता रहता हैँ हम भी तो उसी तरह बार बार घूम रहे हैँ बालपन मे खेल तरुणाई मे प्यार मुहब्बत चालीस वर्ष की आयु पार करने पर असमंजस वाली मनोदशा साठ साल क़े होने पर "क्या हो रहा मेरे साथ? किसलिए ये जिन्दगी? '" इस स्तिथि को कुछ लोग अध्यात्म समझते हैँ किन्तु ये आध्यात्म नहीं गोल गोल घूमना हैँ चक्क्रऱ काटने की प्रक्रीया हैँ "पुनरपि जन्मम.. पुनरपी मरणम " पुनरपि जन्मम पुनरपि मरणम