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एक दिन तुम से बड़ी दूर, मैं चली जाऊँगी, रेत में ह

एक दिन तुम से बड़ी दूर, मैं चली जाऊँगी, 
रेत में हाथ डाल कर ढूंढोगे, कहीं न पाओगे, 
आसमान को पुकारोगे मग़र, न दिखूंगी कहीं
तन्हा बिताओगे सदियाँ, मुझ तक न आओगे, 

बड़े गम उठाये तेरी मोहब्बत में, ए बेवफ़ा सनम
मुझे रिहा कर अपनी यादों से, और न दे यूँ ग़म, 
कोई मोहब्बत से जीत सकता है, नफ़रत से नहीं
मैं न सह पाऊँगी, तन्हाई का बोझ ख़ुद उठाओगे, 

ख़ुदा से यही दुआ है, तुम्हें कभी मेरी याद न आये
मैं दूर हूँ तुमसे, दूर ही सही, अब कहीं न मिलूँगी, 
तेरी बेवफ़ाई के आलम को, ज़ार ज़ार जीया हमने
वफ़ादार 'सुधा' हमसफ़र, अब तुम कहीं न पाओगे!

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