ये क्या हुआ न देखा था कभी आईने में खुदको सजता हुआ बहोत दिनों के बाद देखा है खुदको मुस्कुराता हुआ ये सच है या कोई सपना क्यों लगता हुँ मैं बदला हुआ ए दिल तु क्यों खुश है जबकी है तु तुटा हुआ खेल खत्म हो चुका मैं तो था हारा हुआ सब कुछ हारकर आज मैं क्यों लगता हुँ जीता हुआ वक्त को देखा है रेत की तरहा फिसलता हुआ जिंदगी लगती है चलती हुई जबकी सफर खत्म हुआ हैरान हुँ देखकर रुप फिजा का बदला हुआ रंग बदला है जिंदगी का क्यों देर से सवेरा हुआ नशा क्यों चढा़ है जिंदगी का जबकी जाम जिंदगी का खत्म हुआ जरा सी आहट से क्यों लगता है कोई आया हुआ खत्म हुआ मैं पर इंतजार खत्म न हुआ सिंगार क्यों करुँ मैं जिंदगी का क्योंकि मैंने देखा है सांसो को तुटता हुआ ये क्या हुआ