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Trust me कई बार सोचता हूँ कि निकाल दू तुझे अपन

Trust me   कई बार सोचता हूँ कि निकाल  दू 
तुझे अपनी यादों से, 
लेकिन फिर डर जाता हूँ कि धड़कन 
के बिना कैसे जिन्दा रह पाउँगा | Nisha khan V.k. Viraz Geet Geetu Gori Halima Usmani
Trust me   कई बार सोचता हूँ कि निकाल  दू 
तुझे अपनी यादों से, 
लेकिन फिर डर जाता हूँ कि धड़कन 
के बिना कैसे जिन्दा रह पाउँगा | Nisha khan V.k. Viraz Geet Geetu Gori Halima Usmani