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ग़ज़ल - *इस क़दर तोड़ा है ज़ालिम ने एतिबार *शकुन*

ग़ज़ल - *इस क़दर तोड़ा है ज़ालिम ने एतिबार *शकुन* लौटना पाएगा वही ऐतिबार नैनों में# at nojoti .

ग़ज़ल - *इस क़दर तोड़ा है ज़ालिम ने एतिबार *शकुन* लौटना पाएगा वही ऐतिबार नैनों में# at nojoti . #शायरी

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