दबे अरमानों में दिखता तू ही तू तुम कहते हो मुहब्बत नहीं है। तेरी चाह में चढ गया बचपना तुम कहते हो जरूरत नहीं है I दिल्लगी को लगाया है दिल से तुम कहते हो शराफ़त नहीं है I लिखता हूं तेरा नाम कलियों से तुम कहते हो नज़ाकत नहीं है। ...✍️✍️... ©Shenu.... voice of heart