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लहूलुहान है सांसे अब तक" लहूलुहान है सांसे अब तक,

लहूलुहान है सांसे अब तक"

लहूलुहान है सांसे अब तक, हर एक 
आंसू से, दर्द का दरिया सुबह निकलता है।

किस किसको दिखाऊं ,दिल के ज़ख्मों के 
हरे दाग़, राख के ढेरों से धुंआ अभी भी निकलता है।

कराहती रहती है सूनी रातों में मोहब्बत,
उसकी चीख़ों से थोड़े ,आफताब रास्ता बदलता है।

हर रोज़ टूटते हैं लाखों दिल फिर भी, ए
 मोहब्बत , तेरी खुदाई का कारोबार फिर भी चलता है।

©Anuj Ray
  # लहूलुहान है सांसें अब तक"
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Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
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# लहूलुहान है सांसें अब तक" #शायरी

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