उनकाे अगर जलन है हमारी उड़ान से| ताे सांठ -गांठ कर लें कोई आसमान से| पहुँचा नही हूँ ऐसे ही मै इस मुक़ाम पर, पंगा लिया है मैंने हरिक दिन जहान से| शायर- विकल बहराइची