आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा
अपनी ज़ुल्फ़ों को सँवारोगे तो याद आऊँगा
रंग कैसा हो ये सोचोगे तो याद आऊँगा
जब नया सूट ख़रीदोगे तो याद आऊँगा
भूल जाना मुझे आसान नहीं है इतना
जब मुझे भूलना चाहोगे तो याद आऊँगा
●●● राजेन्द्र नाथ 'रहबर'
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