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धूल जो उड़ी पथिक तेरे चले जाने के बाद भीतर तक धूमि

धूल जो उड़ी पथिक
तेरे चले जाने के बाद
भीतर तक धूमिल हुआ
मेरा आप तार तार हुआ
फिर कोई उस पथ से 
कभी ना गुजर सका
आज भी पदचिन्ह 
तुम्हारे शेष हैं यहाँ
कण धूल के आज भी
सासों में दुस्वारी है
अब तुम हि बताओ 
ये राह किधर जाएगी

©Kavitri mantasha sultanpuri #धूल
#KavitriMantashaSultanpuri
धूल जो उड़ी पथिक
तेरे चले जाने के बाद
भीतर तक धूमिल हुआ
मेरा आप तार तार हुआ
फिर कोई उस पथ से 
कभी ना गुजर सका
आज भी पदचिन्ह 
तुम्हारे शेष हैं यहाँ
कण धूल के आज भी
सासों में दुस्वारी है
अब तुम हि बताओ 
ये राह किधर जाएगी

©Kavitri mantasha sultanpuri #धूल
#KavitriMantashaSultanpuri