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मृत्यु निर्मोही सी वो गले लगाती सबको धनी हो या द

मृत्यु


निर्मोही सी वो
गले लगाती सबको
धनी हो या दानी
गरीब हो या भिखारी
परोसती है सबको
बराबर से
मृत्यु की थाली 
वज्रपात होता जब
तन- मन पर
बहता अंखियों से पानी
पर रस्म तो रस्म है
रस्म जरूर है निभानी
कुछ हँसकर झूल जाते
कोई झुलसकर गले लगाते
कुछ जीवन का आनंद लेते-2
मन मुग्ध हो जाते है
कठू है पर सत्य जिंदगी का
मुट्टी बांधकर आने वाले
खाली हाथ ही लौट जाते है।

©SAKSHI JAIN
  #death