किसी की अंगुलिया पकड़ूँ तो याद आती हो सभी से बिछड़ जाऊ तो याद आती हो दर-बदर भटकते है तुम्हे भुलाने को और किसी तरह भूल जाऊ तो याद आती हो हँसते हुए हर मुस्कान में शामिल तुम और जो कभी रो दू तो याद आती हो ये सारे नफ़ासत के रिश्ते तुम्हारी याद दिलाते है और सारे रिश्ते तोड़ दु तो याद आती हो कही सुना था कि साँसों से वास्ता है इश्क़ का मैं ये साँसे रोक लू तो याद आती हो बिखरे पड़े है टूटे आईने से ख़्वाब मैं इन्हें सँजो दु तो याद आती हो अपना सबकुछ खोने का कोई मलाल तो नही होगा मग़र सबकुछ खो दु तो याद आती हो ©क्षत्रियंकेश नफ़ासत!