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साँसें ध्रव तारे के रफ्तार की तरह... शायद लोगों का

साँसें ध्रव तारे के रफ्तार की तरह...
शायद लोगों का मशवरा सही है

जिनसे 'नजरें' मिले वह "हबीब " बन जाता है
जीवन में दिल के करीब कोई एक ही आता है

'साफगोई' पर अक्सर दिल फिसल ही जाता है
कभी महबूब तो कभी "किस्मत" भाव खाता है

©अनुषी का पिटारा..
  #हाथों_में_हाथ