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तन बेबस बेज़ार पड़ा है, मन रक़ीब के साथ खड़ा है,

तन बेबस बेज़ार पड़ा है,
मन रक़ीब के साथ खड़ा है,

कैसे चढ़े प्रेम रंग साजन,
दिल पर दौलत का पहरा है,

बनेगी कैसे बात हमारी,
नग में नकली रत्न जड़ा है,

प्रेम और विश्वास के दर पे,
तौहीनी का लट्ठ गड़ा है,

प्यासा तड़प रहा बिन पानी,
और पास ही रखा घड़ा है,

हवा चुरा लाई है ख़ुश्बू ,
निर्जन वन में फूल झड़ा है,

प्रेम विटप सूखा है 'गुंजन',
याद में अब भी हरा-भरा है,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कैसे चढ़े प्रेम रंग साजन#
तन बेबस बेज़ार पड़ा है,
मन रक़ीब के साथ खड़ा है,

कैसे चढ़े प्रेम रंग साजन,
दिल पर दौलत का पहरा है,

बनेगी कैसे बात हमारी,
नग में नकली रत्न जड़ा है,

प्रेम और विश्वास के दर पे,
तौहीनी का लट्ठ गड़ा है,

प्यासा तड़प रहा बिन पानी,
और पास ही रखा घड़ा है,

हवा चुरा लाई है ख़ुश्बू ,
निर्जन वन में फूल झड़ा है,

प्रेम विटप सूखा है 'गुंजन',
याद में अब भी हरा-भरा है,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कैसे चढ़े प्रेम रंग साजन#