कुछ दिनों से कविता एक लम्बी छुट्टी पर निकल पडी हैँ अँधेरी गलियों औऱ दुर्धटनाग्रस्त अस्त व्यस्त चोराहो पर अपनी सुरक्षा को लेकर न जाने किस चिंता मे वहा ख़डी हैँ फिर एक जिंदगी जो पीड़ित हैँ . भूखी हैँ प्यासी हैँ नंगे पाँव हैँ औऱ चीथड़ों से खुद को डके हुए अपना भग्न भिक्षापात्र लिए कुछ पाने की अभीप्सा मे उस कविता के आगे अपने घुटने टेक देती हैँ लम्बी छुट्टी पर कविता........?