दर्द-ए-दिल का सबब न पूछ मुझसे, खुद मैंने मंज़िल-ए-इश्क को चुना है, हँसते हँसते कटता सफर नागवार गुज़रा दिल-ए-आजाद को, इसलिए मुकम्मल हमसफर तुझे चुना है #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam दर्द-ए-दिल का सबब न पूछ मुझसे, खुद मैंने मंज़िल-ए-इश्क को चुना है, हँसते हँसते कटता सफर नागवार गुज़रा दिल-ए-आजाद को, इसलिए मुकम्मल हमसफर तुझे चुना है #ek_panchi_diwana_sa