यह मोहब्बत थी कि रोक कर रखा था बहकने से खुद को, उलझ गये,जब मोहब्बत ही बहक गयी तो कैसे खुद को रोकते ,कैसे रोकते मोहब्बत को ....कुँवर सुरेन्द्र यह मोहब्बत थी कि रोक कर रखा था बहकने से खुद को, उलझ गये,जब मोहब्बत ही बहक गयी तो कैसे खुद को रोकते ,कैसे रोकते मोहब्बत को ....कुँवर सुरेन्द्र