हवा उड़ी ही थी उनकी बेवफ़ाई की मुझ तक, कि हम भी गमों से सरेआम हो गए । मेरी आँखों के अश्क आईने बन गए मेरी ख़लिश के, कि ज़ख्म भी हमारे नीलाम हो गए।। कुछ न बचा कहने को तो उनसे अब, ये उनकी मोहब्बत ना तो नफ़रत ही सही, कि ज़हर के दो प्याले हमारे भी नाम हो गए।। - Yogesh Sharma ज़ख्म भी हमारे नीलाम हो गए