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मिला है मानव जीवन ,क्यूँ नफ़रतों में गंवाते हो, प्र

मिला है मानव जीवन ,क्यूँ नफ़रतों में गंवाते हो,
प्रेम  और  सद्भावना  से , क्यूँ  दूर  हुए जाते हो,

किसी काम गर ना आ पाए तो,मानव जीवन व्यर्थ है,
परोपकार और  मानवता  ही, नर जीवन का अर्थ है,

असहाय और निर्बल का ,हाथ थाम कर तो देखिए,
भेदभाव के कुत्सित विचारों को,मन से निकाल फेंकिये,

नर सेवा ही नारायण सेवा है, इस युक्ति को चरितार्थ कीजिये,
जीना इसी का नाम है,तो अब मानव जीवन को अर्थ दीजिए,

मानवता  ही  मानव  जीवन  की   सबसे  बड़ी पूँजी है,
परहित परोपकार ,परसेवा  ही , मोक्ष की कुँजी है ।।
                                                     - पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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