Nojoto: Largest Storytelling Platform

अदब से आई थी वो मेरी ज़िंदगी में हुई आग़ाज़े गुफ्तगू

 अदब से आई थी वो मेरी ज़िंदगी में
हुई आग़ाज़े गुफ्तगू बहुत सादगी में|

आज़ाद ख़याल है वो परिन्दों की तरह
मुझको लगा था उसकी परवाज़गी में|

सिल्सिला-ए-गुफ्तगू जब बढ़ा रफ़ता-रफ़ता
तक़ब्बुर दिख रहा था लहजा-ए-तल्ख़ी में|
 अदब से आई थी वो मेरी ज़िंदगी में
हुई आग़ाज़े गुफ्तगू बहुत सादगी में|

आज़ाद ख़याल है वो परिन्दों की तरह
मुझको लगा था उसकी परवाज़गी में|

सिल्सिला-ए-गुफ्तगू जब बढ़ा रफ़ता-रफ़ता
तक़ब्बुर दिख रहा था लहजा-ए-तल्ख़ी में|