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जीवन के इक छोर पर तुम, और इक छोर पर हम। फिर

जीवन के इक छोर पर तुम, और इक छोर पर हम।
फिर         भी।   बंधे हुए यूँ, इक अटूट डोर से हम।
किया संघर्ष बहुत इस दुनिया ने, कि इक दूजे को छोड़ दें हम।
नहीं था लेकिन मंजूर ख़ुदा को,
जुदाई भी ना कर सकी कभी, चाहत ये हमारी कम।
हाँ मिली छणिक खुशियाँ, ढेरों मिले हैं ग़म,
विचलित हुआ ना इरादा अपना, हम तुम नहीं
हम बने रहे हमदम।।

©Faniyal
  #Humdum
madanfaniyalsing6853

Faniyal

Bronze Star
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#Humdum #लव

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