Nojoto: Largest Storytelling Platform

तहजीब के आईने में जब से खुद को देखा हूँ, क्या बताऊ

तहजीब के आईने में जब से खुद को देखा हूँ, क्या बताऊ मैं कितना शर्मिन्दा हूँ..
वो बिछड़े तो बिछड़े मुझे बस इतना बता दे, मैं उसमें कहीं रहता था या अब भी रहता हूँ..
मैंने उस चाँद को भी रात में रोते हुये देखा है, मैं भी रो लेता हूँ जबसे तन्हा हूँ..
मत पूछ की क्या क्या नया है मुझमे, हर दिन एक नये जख्म खाकर जिंदा हूँ..
मुझे क्या पता कि बहारें कैसी होती है,मैं सूखी डाल का महज एक बाशिंदा(पछी) हूँ..✒
 #missingone
तहजीब के आईने में जब से खुद को देखा हूँ, क्या बताऊ मैं कितना शर्मिन्दा हूँ..
वो बिछड़े तो बिछड़े मुझे बस इतना बता दे, मैं उसमें कहीं रहता था या अब भी रहता हूँ..
मैंने उस चाँद को भी रात में रोते हुये देखा है, मैं भी रो लेता हूँ जबसे तन्हा हूँ..
मत पूछ की क्या क्या नया है मुझमे, हर दिन एक नये जख्म खाकर जिंदा हूँ..
मुझे क्या पता कि बहारें कैसी होती है,मैं सूखी डाल का महज एक बाशिंदा(पछी) हूँ..✒
 #missingone