वाणी/बोली वाणी की महिमा बड़ी, हर मानव को ज्ञान। इसमें हैं गुण-दोष भी, इसका रखिए ध्यान।। वाणी है चंचल बहुत, सोच समझ लें आप। सदा नियंत्रण में रखें, कभी न हो संताप।। नापतोल कर बोलिए, सबसे कोई बात। कटु वाणी मन पर कहीं, करें नहीं आघात।। वाणी है संजीवनी, वाणी विष का तीर। वाणी भर दे घाव को, रखे कलेजा चीर।। वह वाणी मत बोलिए, जो पहुंचाए कष्ट। तन मन को घायल करे, रिश्ते कर दे नष्ट।। मधुर वचन वाणी सदा, हर मन को ले जीत। मीठी वाणी से बने, दुश्मन भी मनमीत।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #वाणी