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*"हर रोज़ गिरकर भी,* *मुक़म्मल खड़े हैं...!* *ऐ ज

*"हर रोज़ गिरकर भी,* 
*मुक़म्मल खड़े हैं...!*

*ऐ ज़िंदगी देख,*
*मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं ...!!"*

*हौसले के तरकश में*
*कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो*
*हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ*
*मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो!*



*"हर रोज़ गिरकर भी,* 
*मुक़म्मल खड़े हैं...!*

*ऐ ज़िंदगी देख,*
*मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं ...!!"*

*हौसले के तरकश में*
*कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो*
*हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ*
*मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो!*

Gupta Vishal #twilight #kahani #poem #Poetry #Novel #Life
*"हर रोज़ गिरकर भी,* 
*मुक़म्मल खड़े हैं...!*

*ऐ ज़िंदगी देख,*
*मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं ...!!"*

*हौसले के तरकश में*
*कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो*
*हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ*
*मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो!*



*"हर रोज़ गिरकर भी,* 
*मुक़म्मल खड़े हैं...!*

*ऐ ज़िंदगी देख,*
*मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं ...!!"*

*हौसले के तरकश में*
*कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो*
*हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ*
*मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो!*

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guptavishal9779

Gupta Vishal

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