अक्सर अपने दिल की बातें कह लेता था खुलकर मैं जब भी दर्द जरा होता था रो लेता था मिलकर मैं तब शायद मेरे दिल में एक बच्चा होता था जब भी परेशान हो तो वो रोता था अब शायद वो बड़ा हो गया घुट घुट जीना सीख गया दिल की बातें दिल में रखकर उस दर्द को पीना सीख गया पर आज अकेले जब भी होता तब वो रोता है तब शायद दिल से फिर बच्चा होता है #माधवेन्द्र_फैज़ाबादी