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गालिब तेरे मेयार* में किसी बात की कमी न रही, तेरे

गालिब तेरे मेयार* में किसी बात की कमी न रही,
तेरे आने से उजड़े दयार में उदासी न रही.

गम बांध लेता है बिखरने नहीं देता 
गठरी समझ चुकी थी क़फ़स* में जान न रही ।
मेयार-स्टैन्डर्ड कफस-पिंजरा
गालिब तेरे मेयार* में किसी बात की कमी न रही,
तेरे आने से उजड़े दयार में उदासी न रही.

गम बांध लेता है बिखरने नहीं देता 
गठरी समझ चुकी थी क़फ़स* में जान न रही ।
मेयार-स्टैन्डर्ड कफस-पिंजरा