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तेरी कैद से मेरा रू रिहा हो नहीं रहा मेरि जिन्दगी

तेरी कैद से मेरा रू 
रिहा हो नहीं रहा
मेरि जिन्दगी 
तेरी हक अदा ना हो रहा
ये मौसम से गिला फिजूल है
अगर छूकर भि तूझे हरा हो ना रहा
तेरे जिते जागते मेरे दिल पे कोइ और है
ये दोस्त तू बता 
बहुत बूरा हो नहीं रहा ?
                        चिन्मय मिश्र #5words
तेरी कैद से मेरा रू 
रिहा हो नहीं रहा
मेरि जिन्दगी 
तेरी हक अदा ना हो रहा
ये मौसम से गिला फिजूल है
अगर छूकर भि तूझे हरा हो ना रहा
तेरे जिते जागते मेरे दिल पे कोइ और है
ये दोस्त तू बता 
बहुत बूरा हो नहीं रहा ?
                        चिन्मय मिश्र #5words