दर्द - ए - इश्क हालातों ने किया गुनाह या ये इश्क़ था लापरवाह यूं तुम छोड़ गए तन्हा क्यूं तुम दूर गए इस तरह अंधेरा ही दिखता है हर जगह खामोशियां चिखतीं हैं यहां दर्द सब दबा ही रह गया खुद ही क़ैद हूं इस तरह कैसे समझाऊं खुद को बता अब रौशनी भी देती है सजा मैं जान ना पाई वो वजह क्यूं तुम रूठ गए बेवजह ? #दर्द - ए- इश्क़