ज़रा बताओ हमको तुम किसने बजाया ये बिगुल? कल देर रात हुई बत्ती गुल कानों के नीचे हुआ शोरगुल बदन पर मेरे बड़ा मचाये हलचल फ़िर चादर के अंदर करे हरकत कभी खिड़की में रहे अँटककर उड़े फ़िर रोशनदान से निकलकर रक्त वो ढूंढे हर चीज को छुकर अकड़ में उड़ता तन मेरा चुसकर पलक झपकते फ़िर कर दे बेचैन काहे का हमको जो आए नींद चैन है काला मोटा छोटा पर बड़ा निडर अंग में लाल रंग भरे टिके दीवार पर पूरी रात यूँही मचाता रहा हुड़दंग पर झट बिजली का दिखा लाल रंग वो चलता पंखा मेरा ले आया उमंग जलाई बत्ती पूरी रातभर एकदम और चादर तानकर तब सो गए हम पर आस पास मंडराता रहा बेशर्म ज़रा पकड़ो तो इसको है ई कौन जिसने मचाया ऐसा हड़कम्प ? ©Deepali Singh मच्छर