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हिन्दी ही अपनी है तेवर जिसके पराएपन की पढ़ती रही म

हिन्दी ही अपनी
है तेवर जिसके पराएपन की
पढ़ती रही मैं वो अंग्रेज़ी
हिन्दी से थी कुछ दूरी ऐसी
जो खुद से भी कहती रही
कुछ सीख ले,कुछ जान ले,
अंग्रेज़ी का ज्ञान ले
थी अंग्रेज़ी मेरे हर बात में 
पर पाया हिन्दी को ठाठ में
थी अनजान मैं इस इस बात से
है हिन्दी ही मेरे जात से
अंग्रेज़ी को सीखा-सिखाया
पर हिन्दी को जिह्वा पर पाया
कभी पन्नों,पर कभी होंठों पर
हिन्दी ज़ुबाँ पर अपने आप आया
व्याकरण के सब नियम ना जानूँ
पर भाषा को मैं सटीक पहचानूँ
बसती है मेरे रूह में हिंदी
परायों के लिए बनी अंग्रेज़ी
है अपनेपन का नाता इससे
यूँही नहीं ज़ुबाँ पर आया ऐसे
अब अंग्रेज़ी क्या सीखूँ-सिखाऊँ
हिंदी मन-मस्तिष्क से कैसे हटाऊँ?
है तुझसे ही मोहब्बत ऐ हिंदी
करती हूँ शुरुआत अब तुझसे ही...

©Deepali Singh #हिंदी ही अपनी
हिन्दी ही अपनी
है तेवर जिसके पराएपन की
पढ़ती रही मैं वो अंग्रेज़ी
हिन्दी से थी कुछ दूरी ऐसी
जो खुद से भी कहती रही
कुछ सीख ले,कुछ जान ले,
अंग्रेज़ी का ज्ञान ले
थी अंग्रेज़ी मेरे हर बात में 
पर पाया हिन्दी को ठाठ में
थी अनजान मैं इस इस बात से
है हिन्दी ही मेरे जात से
अंग्रेज़ी को सीखा-सिखाया
पर हिन्दी को जिह्वा पर पाया
कभी पन्नों,पर कभी होंठों पर
हिन्दी ज़ुबाँ पर अपने आप आया
व्याकरण के सब नियम ना जानूँ
पर भाषा को मैं सटीक पहचानूँ
बसती है मेरे रूह में हिंदी
परायों के लिए बनी अंग्रेज़ी
है अपनेपन का नाता इससे
यूँही नहीं ज़ुबाँ पर आया ऐसे
अब अंग्रेज़ी क्या सीखूँ-सिखाऊँ
हिंदी मन-मस्तिष्क से कैसे हटाऊँ?
है तुझसे ही मोहब्बत ऐ हिंदी
करती हूँ शुरुआत अब तुझसे ही...

©Deepali Singh #हिंदी ही अपनी
deepalisingh8800

Deepali Singh

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