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गिर गिरके उठने की कोशिश, अक्सर हम करते ही रहते है

गिर गिरके उठने की कोशिश,
 अक्सर हम करते ही रहते है।
कहीं ना कहीं खुद के सवालों के,
जवाबों में मरते ही रहते हैं।
मिली ना मंजिल वो अब तक
जिसकी बचपन से रखी है आस,
खो गए बीच सफर में रिश्ते काफ़ी,
धीर -धीरे कहीं  खो गए जो थे कभी खास।
सबकी गलती को भी किया माफ,
दिल में ना रखी कोई नफ़रत 
एक एक लफ्ज को रखा साफ।

©Kusu Simran
  #kusum