बाहरी प्रकाश था मन में अँधेरा था अंदर का दीप जले वो काम मेरा था ! हाथों को समेटे हम बैठे ही रहे..... हर कोई दीया लेकर हमको घेरा था !! ©S K Sachin #MereKhayaal #मन का अँधेरा