इक दोस्ती सी हो गई थी मेरी, मेरे कलम से मैं जो भी कहती मान जाती, बड़े ही अदब से एक दिन कहा मैंने, लिख चंद पंक्तियां मेरे हम सफर पे उसने बड़े फक्र से लिख दिया, मेरे बाप जी पे मेरा हम सफर