ख्वाबों पर एक ख्वाब सजाए फिरता हूं बहके से जज़्बात बनाए फिरता हूं कितने ही दिल को मैंने शायद अपना कहा पर हर दिल से अपनी औकात छिपाए फिरता हूं हर एक दिन को रात बनाए फिरता हूं रातों को मुश्किल हालात बताए फिरता हूं एक हाथ में कुछ टूटे से है ख्वाब सही दूसरे हाथों से ये ख्वाब हटाएं फिरता हूं ©Deependra jha #lonelynight #Love #feels #Romantic #fakesmile