अब घबराहट काहे को, जब भी यह पता रहे निष्कर्ष क्या है? तब घबराहट काहे को, दूर हुए हैं जो लोग वापस नहीं आएंगे, तो घबराहट काहे को, अब शुभ हर दिन तो होगा नहीं, तो घबराहट काहे को, कोई साथ नहीं है, तो भी घबराहट काहे को, ये भी तय है कि तुम से कोई सहमत ना हो, तो भी घबराहट काहे को, चिंता चिता समान है, तो घबराहट काहे, मुकद्दर तुम बदल सकते हो, फिर भी घबराहट काहे कि घबराहट है