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रोज जाते हैं मंदिरों में मंदिर की दानपेटी भरते हैं

रोज जाते हैं मंदिरों में मंदिर की दानपेटी भरते हैं,
मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को धुत्कार कर आगे चले जाते हैं|
गंदगी अच्छी नहीं लगती घर मे तो विचारों में क्यों रखे,
चलो इस दीवाली घर की स्वच्छता के साथ विचारों की स्वच्छता रखे|
हम तो हमेशा ही मनाते हैं ख़ुशियाँ अब की बार किसी और को बाटे,
किसी गरीब को देकर दीवाली का तोहफा उसके दुख के निकालो कांटे| 🌝प्रतियोगिता-51  🌝
दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते हैं ताकि घर बेहद ही ख़ूबसूरत लगे.... घर को तो हम लोगों ने चमका लिया लेकिन इन सबसे पहले क्या हमने कभी अपने दिल-ए-घर में झांक कर देखा है कि इसके अंदर कितना कूड़ा-कचरा भरा हुआ है! किसी कोने में जलन की राख भरी होगी तो कहीं दुश्मनी और बुग्ज की चिंगारी दहकती हुई मिल जाएगी। किसी को नीचा और पीछे छोड़ जाने कि कसक तो किसी ना-मुम्किन सी चीज़ को पाने की हवस। अगर हम देखें ...तो कहीं ना कहीं धर्म के नाम पर, आस्था के नाम पर नफ़रत नामी गलाजत भी पनपती हुई मिल जाएगी। 

       तो आइए क्यूँ ना इस दीवाली अपने घरों की स्वच्छता के साथ-साथ अपने विचारों की स्वच्छता की ओर भी ज़रा ध्यान दिया जाए और समाज को सुधारने से पहले अपने विचारों को भी सुन्दर बना लिया जाए....

✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"विचारों की स्वच्छता"🌹
रोज जाते हैं मंदिरों में मंदिर की दानपेटी भरते हैं,
मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को धुत्कार कर आगे चले जाते हैं|
गंदगी अच्छी नहीं लगती घर मे तो विचारों में क्यों रखे,
चलो इस दीवाली घर की स्वच्छता के साथ विचारों की स्वच्छता रखे|
हम तो हमेशा ही मनाते हैं ख़ुशियाँ अब की बार किसी और को बाटे,
किसी गरीब को देकर दीवाली का तोहफा उसके दुख के निकालो कांटे| 🌝प्रतियोगिता-51  🌝
दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते हैं ताकि घर बेहद ही ख़ूबसूरत लगे.... घर को तो हम लोगों ने चमका लिया लेकिन इन सबसे पहले क्या हमने कभी अपने दिल-ए-घर में झांक कर देखा है कि इसके अंदर कितना कूड़ा-कचरा भरा हुआ है! किसी कोने में जलन की राख भरी होगी तो कहीं दुश्मनी और बुग्ज की चिंगारी दहकती हुई मिल जाएगी। किसी को नीचा और पीछे छोड़ जाने कि कसक तो किसी ना-मुम्किन सी चीज़ को पाने की हवस। अगर हम देखें ...तो कहीं ना कहीं धर्म के नाम पर, आस्था के नाम पर नफ़रत नामी गलाजत भी पनपती हुई मिल जाएगी। 

       तो आइए क्यूँ ना इस दीवाली अपने घरों की स्वच्छता के साथ-साथ अपने विचारों की स्वच्छता की ओर भी ज़रा ध्यान दिया जाए और समाज को सुधारने से पहले अपने विचारों को भी सुन्दर बना लिया जाए....

✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"विचारों की स्वच्छता"🌹