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फिसल जाऊँ मैं तेरी आँखों में यही ख्वाहिश है कभी तो

फिसल जाऊँ मैं तेरी आँखों में यही ख्वाहिश है
कभी तो आओ रुबरु क्यूँ मुझसे आजमाइश है
तेरे जिक्र से शाम खनक जाती है बनकर निराला सहर
पिघलने को तुम्हारी बाहों में, बस यही फर्माइश है

©Sanjay Ni_ra_la
  फिसल जाऊँ तुम्हारी आँखों में

फिसल जाऊँ तुम्हारी आँखों में #शायरी

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